" हमारा प्रमुख उद्देश्य आध्यात्मिक एवं पदार्थ विज्ञान के यथार्थ तत्व को प्रस्तुत करके दोनों के समुचित समन्वय के द्वारा सम्पूर्ण विश्व से साम्प्रदायिकता, वर्गभेद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भोगवाद-जन्य कट्टरता, हिंसा, वैर, ईर्ष्या का उन्मूलन करके भौतिक विज्ञान के विकास के साथ-2 सत्य, अहिंसा, सदाचार, प्रेम, करुणा, बन्धुत्व जैसे गुणों से युक्त विश्व शान्ति की स्थापना करना। इस महान् कार्य के लिए प्राचीन वैदिक एवं ऋषि-देव परम्परा पर गम्भीर अनुसंधान करके रामायण व महाभारत कालीन प्राचीन ज्ञान विज्ञान को साकार करके वर्तमान विज्ञान की अनेक अनसुलझी गम्भीर समस्याओं का समाधान करना, इससे संसार को वैदिक ज्ञान विज्ञान के साथ-2 प्राचीन भारतीय (आर्यावर्त-देशीय) संस्कृति, सभ्यता व विकास बोध होगा। इस उद्देश्य के लिए न केवल भारत अपितु विश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों से भी सतत सम्पर्क करके उन्हें महान् वैदिक विज्ञान के द्वारा मूलभूत भौतिकी के विकास में सहयोग करने का प्रयास करना। इससे संसार के वैज्ञानिकों को इस बात का बोध होगा कि वेद व ऋषियों का ज्ञान विज्ञान किसी सम्प्रदाय से सम्बंधित नहीं अपितु महान् ज्ञान विज्ञान का मूल पे्ररणा व उत्पत्ति स्रोत है, तब संसार का प्रबुद्ध वर्ग अपने पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर वर्तमान विज्ञान की भांति उसे अपनायेंगे तथा इसके लिए वे प्राचीन भारत के ऋण को भी अनुभव करेंगे, साथ ही ऋषि मुनियों को अपना ही पूर्वज व आदर्श मानकर विश्व मानवता की एकता में भरपूर सहयोग करेंगे। इससे उन सबका वैदिक आध्यात्मिक विज्ञान (योग साधना), राजधर्म, समाजशास्त्र, आयुर्वेद, कृषि, पर्यावरण तथा संस्कृत भाषा के प्रति भी आकर्षण होगा। इससे विश्व मिथ्या मतमतान्तरों का वैमनस्य समाप्त होकर एक ईश्वरीय वैदिक धर्म अपनाने में यह समर्थ होगा।"