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सिफारिश से हम हिन्दुस्तानियों का पुराना नाता है। या तो हम सिफारिश लिफ़ाफ़े में लिए घूमते हैं या सिफारिश की तलाश में रहते हैं, चाहे नौकरी हो या स्कूल में दाखिला। सिफारिश तो हमारे जीवन में प्रेम और आदर का पात्र है। तो जब बेचारे ललित मोदी को ज़रुरत पड़ी और जब विदेश मंत्री ने सिफारिश दी, तो ऐसा क्या गुनाह कर दिया?
सिफारिश से हम हिन्दुस्तानियों का पुराना नाता है। या तो हम सिफारिश लिफ़ाफ़े में लिए घूमते हैं या सिफारिश की तलाश में रहते हैं, चाहे नौकरी हो या स्कूल में दाखिला। सिफारिश तो हमारे जीवन में प्रेम और आदर का पात्र है। तो जब बेचारे ललित मोदी को ज़रुरत पड़ी और जब विदेश मंत्री ने सिफारिश दी, तो ऐसा क्या गुनाह कर दिया?