Kalam (Hindi Poetry)

तारिणी


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प्राणिमात्र का जीवन सरल और सहज है। हम मनोविकारों के प्रभाव में आकर ही इसे दुरूह और आडम्बरयुक्त बना देते हैं।वाह्य आडम्बरों के कारण ही समस्यायें आती हैं। ढोंग ही समाज में फैले समस्त कुत्सित मनोविकारों का मूल है। आइये इन्हीं विचारों पर कुठाराघात करते हैं हमारी कविता      "तारिणी" से।

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Kalam (Hindi Poetry)By Dr. Sudhanshu Kumar