
Sign up to save your podcasts
Or
चाहे हो सर्द रातें चाहे तपती दुपहरी
मैंने तेरी कोई चाह नही छोड़ी अधूरी
क्योंकि ज़माने से नहीं मैं कभी डरता था
तू सब कुछ भूल गई मुझे सब याद रहा
तेरे चन्द लफ़्ज़ों पे ऐतबार करता था
,..... अगर तुझे चाहता तो बर्बाद कर देता
मगर तेरी खुशियो से इश्क़ मैं करता था
तू सब कुछ भूल गई
तू सब कुछ भूल गई
चाहे हो सर्द रातें चाहे तपती दुपहरी
मैंने तेरी कोई चाह नही छोड़ी अधूरी
क्योंकि ज़माने से नहीं मैं कभी डरता था
तू सब कुछ भूल गई मुझे सब याद रहा
तेरे चन्द लफ़्ज़ों पे ऐतबार करता था
,..... अगर तुझे चाहता तो बर्बाद कर देता
मगर तेरी खुशियो से इश्क़ मैं करता था
तू सब कुछ भूल गई
तू सब कुछ भूल गई