तू दयालु, दीन हौं, तू दानि, हौं भिखारी।हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप-पुंज-हारी॥नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो।मो समान आरत नहिं, आरतिहर तोसो॥ब्रह्म तू, हौं जीव, तू है ठाकुर, हौं चेरो।तात-मात, गुरु-सखा, तू सब विधि हितु मेरो॥तोहिं मोहिं नाते अनेक, मानियै जो भावै।ज्यों त्यों तुलसी कृपालु! चरन-सरन पावै॥Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava