उर्वशी और पुरुरवा की प्रेम कथा बड़ी अजीब थी। दोनों अलग-अलग दुनिया के थे। दोनों की संस्कृति भी अलग-अलग थी किन्तु दोनों में प्यार हो गया। दोनों अपनी जिद और जद्दोजहद से मिल तो गए। मगर मिलकर भी पूरी तरह मिल न सके। उर्वशी तो अपनी दुनिया अपने कार्य मे व्यस्त हो गई मगर बेचारा पुरुरवा मिलान की आशा में भटकता रहा। और मिलन के बस एक खास दिन का बेसब्री से इंतज़ार करता रहा।