Ek Geet Sau Afsane

वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी...क्या आपको पता है कि इस नज़्म के पीछे सुदर्शन फ़ाक़िर का कैसा दर्द छुपा हुआ है?


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आलेख : सुजॉय चटर्जी

स्वर : ऋतु कौशिक 

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

आज की कड़ी के लिए हम जो गीत लेकर आये हैं, वह कोई फ़िल्मी गीत नहीं, बल्कि एक मशहूर ग़ैर-फ़िल्मी नज़्म है जिसे आप सभी ने ज़रूर सुना होगा - "ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो..."। सुदर्शन फ़ाक़िर का कलाम, आवाज़ जगजीत सिंह की।

वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी"... दोस्तों, आपने यह नज़्म तो बहुत बार सुनी होगी पर क्या आपको पता है कि इस नज़्म के पीछे सुदर्शन फ़ाक़िर का कैसा दर्द छुपा हुआ है? किन दहशत भरे लम्हों को झेलने के बाद ऐसी रचना उनकी कलम से निकली होगी? आज हम इसी का ज़िक्र करेंगे। और साथ में बचपन की बातें गायक जगजीत सिंह की भी जिन्होंने इस नज़्म को गाया। कैसे उनका नाम जगमोहन सिंह से बदल कर जगजीत सिंह हो गया? फ़िल्म संगीत जगत में गीतकार-संगीतकारों की बहुत सी मशहूर जोड़ियों के बारे में तो आपको पता ही होगा, पर ग़ज़लों की दुनिया में अगर शाइर और गायक-मौसीकार की जोड़ियों की बात चलेगी तो सुदर्शन फ़ाकिर और जगजीत सिंह इज़्ज़त से लिया जाएगा।

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Ek Geet Sau AfsaneBy Radio Playback India