बेतरतीब से कमरे के बीच में एक पलंग जिसपर हम दोनों पसरे थे, पर्दे लगे थे और रोशनी छन कर आ रही थी, मैं उसे देख रहा था, उसकी आंखों के नीचे के हल्के स्याह निशान, उसका वो सफेद सा चेहरा, वो मेरी दाढ़ी और मूंछों के बालों में अपनी उंगलियां फेर रही थी, मुझे बहुत दिन तक अपनी दाढ़ी का वो हिस्सा याद था