Click here to listen to the bhajan by Dr. Uma Shrivastav
यही हरि भक्त कहते हैं, यही सद्-ग्रन्थ गाते हैं ।कि जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं ॥नहीं स्वीकार करते हैं निमंत्रण नृप सुयोधन का ।विदुर के घर पहुंचकर भोग छिलकों का लगाते हैं ॥कि जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं ।यही हरि भक्त कहते हैं, यही सद्-ग्रन्थ गाते हैं ॥न आये मधुपुरी से गोपियों की दुख कथा सुनकर ।द्रुपदाजी