Zehan

'Zehan' Bas


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"ज़ेहन" बस…।


नज़र से दूर इतना

ख़ुद को मख़मल में लपेटे हो।

"ज़ेहन" बस याद आयी है तेरी

रोया नहीं हूँ मैं।।

 

मैं रखता हूँ कदम कुछ

बेतुकी सी बेरुख़ी के बीच।

है रस्ते की समझ कच्ची थोड़ी

खोया नहीं हूँ मैं।।

 

मुझे अब नींद आती है

तेरी शैतानियों के संग।

है मेरी धड़कनें कुछ तेज़ अभी

सोया नहीं हूँ मैं।।

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ZehanBy Ayan Sharma