Zehan

Zehan Madhushala


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"ज़ेहन" मधुशाला


"ज़ेहन" मधुशाला उनका प्यार हाला सा, ख़ुद प्याला बन गयी ।

आज पीने वाला साकी, "ज़ेहन" मधुशाला बन गयी ।।

लिखा है नाम उनका इस शहर की, हर दीवारों पे।

नहीं साकी मिला अबतक जो भर दे, प्याला हाले से।।

कोई ग़म में, कोई शौक़ में, प्याले को पकड़ा है।

दो बूँद महज़ जर्ज़र कलम का सहारा बन गयी।।

आज पीने वाला साकी, "ज़ेहन" मधुशाला बन गयी।

 

कभी एक वक्त था प्याला पकड़ना, शौक़ लगता था।

मगर होठों ना छू जाए हाला, ख़ौफ लगता था ।।

यहाँ कुछ बात थी जब भी तसव्वुर, रूह तक पहुँची ।

नशे में नाम मोती सा लिखा, अब माला बन गयी।।

आज पीने वाला साकी, "ज़ेहन" मधुशाला बन गयी।

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ZehanBy Ayan Sharma