Zehan

Zehanaseeb


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ज़हे-नसीब


ख़ुदा शौक़ीन है "ज़ेहन" की ज़हे-नसीब नज़्मों का।

मौसम शांत हो अक्सर कर वो बूंदे गिराया है।।

 

अपनी खामोशियों को यूं जो पन्नो पर उतारा है।

बनेंगे अश्क़ के कारण या कुर्बत भी गवारा है।

बख़ूबी जानता हर इक अदद कमज़ोरियाँ मेरी।

आँखे बंद थी, सोया था, सपनों से जगाया है।।

 

बहुत शौक़ीन है अल्लाह बख़ूबी ख़ुद लिखाया है।।

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ZehanBy Ayan Sharma