मैं क़िस्मत के पलकों पर अटके
अश्कों के फूल का एक कतरा हूँ
वक़्त की जमीं पर टूटकर बिखरा हूँ
अब, किस्सा कोई भी गढ़ लो
खुली किताब हूँ पढ़ लो।... more
By Dinesh Roy Bankipore
The podcast currently has 63 episodes available.
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