किन बाधाओ से घिरा पडा है
किन कष्टो से जकडा हुआ है
तेरे राह मे कैसे काँटे बिछ गये है
तु अचानक निर्बल कैसे हो गया है
तुने कितने परिवर्तन अपने आखो से देखे है
कितनी सभ्यताओ से गुजरता रहा है
तुझमे कितनी प्रबल संभावना
तु क्यो हिम्मत हार रहा है
तेरे मार्ग दर्शन को इश्वर है खडे
प्रकृति है तुझको हर वक्त घेरे
तु अविचल है तु निर्विकार है
तेरी छमताओ की है आपार संभावना
रे तु भटका हुआ देवता ही है
तेरे मे है अगाध संभावना
मत देख इन राह के छोटे कष्टो को
तेरा तो है अहिर्निष निर्माण से वास्ता!!