ब्रह्म वि़द्या से जागृत होता है, असली ज्ञान स्थाई शांति भगवान के भक्त के मुख पर होती है, क्योकि वो ब्रह्म विद्या से परिचित हो जाता है, इस संसार की बाधाएं उसे हिला नहीं पातीं , इस विद्या से ज्ञान का वो अमृत प्राप्त होता है जो इस जीवन में तो काम आता ही है, मृत्यु के बाद भी ब्रह्म ज्ञान साथ निभाता है, अर्थात मुक्ति के द्वार तक ले जाता है।