दुनिया कोविड-19 महामारी के तीसरे साल में है, लेकिन SARS-CoV-2 के नए रूप अभी भी उभर रहे हैं क्योंकि वायरस लोगों को संक्रमित करना, गुणा होना, बदलना और आगे फैलाना जारी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, जीनोम सीक्वेंसिंग नए उपभेदों की विशेषताओं को पहचानने और समझने के लिए एक अहम उपकरण है. बनेगा स्वस्थ इंडिया पॉडकास्ट के इस विशेष एपिसोड में, हमने टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के पूर्व निदेशक के साथ बात की, भारत ने कैसे अपनी जीनोम सिक्वेंसिंग क्षमता को बढ़ाया है और कैसे यह न सिर्फ कोविड-19 बल्कि दूसरी बीमारियों के प्रकोप से लड़ने में कितना महत्वपूर्ण होगा.