मुझे नहीं पता था कि बागबानी कैसे करते हैं और ना ही पौधों के बारे में कोई खास जानकारी पर एक दिन जब मैं घर आया तो घर के बाहर एक पौधे बेचने वाला खड़ा था, मुझे पौधों में कोई दिलचस्पी तो नहीं थी पर पता नहीं क्यों उस दिन मैंने दस रुपए में वो गुलाब की कलम ले ली।
उस दिन मैं घर में घुसने से पहले वापिस बाहर गया और चालीस रुपए का मिट्टी का एक सुंदर सा गमला ले आया , उसे मैंने खिड़की में रख दिया, वो गमला हाथ से बनाया हुआ किसी कलाकार की कलाकारी का सबसे उम्दा नमूना था, बेहद ही सुंदर और ऊपर से उस पर बनाए हुए गेंदे और गुलाब के छोटे छोटे फूल, मैंने उसी दिन गुलाब की उस कलम को उस गमले में रोप दिया।
मैं रोज उस गमले में पानी डाला करता, एक अजीब सा जुड़ाव हो गया था मेरा उस मिट्टी के गमले के साथ, जैसे वो मेरा दोस्त था। मैं बिस्तर पर लेटे हुए रोज़ उस मिट्टी के गमले से बाते करता था और इन्हीं दिनों के बीच एक अद्भुत घटना घटी। एक शाम जब मैं घर लौटा तो मैंने देखा कि जिस गुलाब की कलम को लगा कर मैं कब का भूल चुका था आज उस पर एक नन्हा सा गुलाब का फूल था, वो नन्हा गुलाब ऐसे लग रहा था कि जैसे उस मिट्टी के गमले ने सर पर कोई गहना पहना हो, उस गुलाब के आने से गमला और भी सुंदर हो गया था।
एक जब मैं सुबह सुबह अपने घर के आंगन में बैठा अखबार पढ़ रहा था तभी एक छोटी सी लड़की मेरे घर के आगे से अपनी मां के साथ गुजरी, उसने स्कूल ड्रेस पहन रखी थी। उस छोटी लड़की ने मेरे घर में पड़े उस गमले की तरफ देखा और अपनी मां से उस नन्हे गुलाब के लिए ज़िद करने लगी। थोड़ी देर बाद एक लड़की भी मेरे घर के आगे से गुजरी और तेज चलते हुए उसके कदम मेरी खिड़की की ओर देख कर धीमे पड़ गए, शायद उसने भी मेरे सुंदर गमले की सुंदरता को परख लिया था जब मैंने उसे बताया की ये गमला मैं कहां से लाया तो वो बोली की वो तो सिर्फ उस गुलाब को देख रही थी। थोड़ी देर बाद वो भी आगे निकल गई। उस दिन जब मैं शाम को घर लौटा तो एक बूढ़ी औरत मेरे दरवाजे पर खड़ी थी और शायद वो उस सुंदर गमले की तरफ अपनी बूढ़ी आंखों से निहार रही थी, मैंने उनसे पूछा कि उन्हें क्या चाहिए तो उन्होंने कहा कुछ नहीं, जब मैंने और थोड़ी देर बात की तो पता चला कि उनके पति ने उनके जवानी के दिनों में उन्हें ऐसा ही गुलाब दिया था, अब वो इस दुनियां में नहीं है।
मैंने उस रात बहुत सोचा कि मेरे इस सुंदर गमले की ओर तो उन तीनों ने देखा तक नहीं, उस रात मुझे बहुत देर से नींद आई, आधी रात तक मैं उस गमले को ही देखता रहा, सुबह हुई तो मैंने फिर उसी बच्ची और उसी लड़की को देखा और जब शाम को घर लौटा तो फिर से वही बूढ़ी औरत, ऐसा कईं दिनों तक चला, अब मुझे भी उन सब पर गुस्सा आने लगा था।
एक दिन जब मैंने उस छोटी बच्ची को अपने घर के आगे से गुजरते और अपनी मां से उस गुलाब के फूल के लिए ज़िद करते देखा तो पूछ लिया कि वो इसका क्या करेगी? तो उसने सीधा और काफी मासूमियत भरा जवाब दिया कि वो इसे अपनी गुड़िया के लिए ले जाएगी, मैं थोड़ी देर इसी जवाब के बारे में सोचता रहा, थोड़ी देर बाद वो लड़की भी वहां से गुजरी मैने उससे भी वही सवाल किया, उसका जवाब मेरे लिए अजीब था, उसने कहा की वो ये गुलाब अपनी सहेली को देना चाहती है क्योंकि वो उससे प्रेम करती है। उस पूरे दिन में उन दो जवाबों के बारे में ही सोचता रहा, जब शाम हुई तो मुझे वो बूढ़ी औरत भी मिली जब मैंने उससे भी वही सवाल किया तो उसका जवाब था कि वो ये गुलाब अपने मरे हुए पति की तस्वीर के आगे रखेगी। मुझे उन तीनों पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि उनमें से एक ने भी मेरे सुंदर गमले के बारे में कुछ नहीं कहा, वो तीनों रोज मेरे घर के आगे से गुजरती थी और ऐसा कई दिनों तक चला।
अब हुआ यूं कि एक दिन तंग आकर मैंने ही वो फूल तोड़ दिया, जब वो जमीन पर गिरा तो एहसास हुआ कि कुछ तो है जो जा चुका है, उसके टूटने के बाद फिर कभी भी ना वो बच्ची मेरे घर के आगे से गुजरी, ना ही वो लड़की जो कॉलेज जाते हुए रोज इस फूल को देखती थी और ना ही वो बूढ़ी औरत जिसे शायद ये फूल उसकी जवानी के दिनों की याद दिलाता था, मैने एक दिन मेरी जान पहचान के एक आदमी से जानकारी ली तो पता चला कि वो बूढ़ी औरत अब इस दुनिया में नहीं है और वो लड़की जिसे उसकी सहेली से प्रेम था, अब उसकी शादी हो चुकी है और वो अब अपने ससुराल में ही रहती है और वो छोटी बच्ची अब बड़ी हो चुकी है अब वो गुड्डे गुड़ियों से नहीं खेलती शायद।
अब उस बात को काफी साल बीत चुके हैं, वो गमला अब मिट्टी में मिल चुका है और वो मिट्टी अब मेरे घर के आंगन में मिली हुई है जहां अब हर रंग के गुलाब है, कई गुलाब, कुछ लाल, कुछ पीले, कुछ गुलाबी पर अगर कुछ नहीं है तो वो छोटी बच्ची, वो लड़की और वो बूढ़ी औरत।
Written by
MAGAN MEGH