बिहार, देश के सभ्यता के जननी ह, पर आज भी विकास के दौड़ में पाछे छूटल बा।
सवाल उठे ला – काहे?
बाकिर हम सिरिफ शिकायत नइखे करत.
‘बाहरी बिहारी’ एक कोशिश बा, जवन ना सिर्फ सवाल पूछी,
बलुक समाधान खोजी, आ बिहार के आवाज देश ले पहुंचाई।
हम बात करब –
शिक्षा के
रोजगार के
प्रवासी बिहारी के संघर्ष के
आ ऊ असली बिहारी अस्मिता के, जवन आज नींद में बा।
बाकिर ई अकेले के लड़ाई नइखे… ई हमनी सब के अभियान ह।”
“रउआ के का लागेला?
@ का बिहार के बारे में साँच बात बोले के समय अब आ गइल बा?
@ का हमनी के मिल के कुछ नया सुरुआत करे के चाहीं?
@ अगर रउआ चाहत बानी कि ई पॉडकास्ट आगू बढ़े,
त एक लाइक करीं, कमेंट करीं, आ आपन राय खुल के दीं।
अगला एपिसोड तबही आई जब रउआ साथ दीं –
काहे कि ‘बाहरी बिहारी’ के मतलब ही बा – हमनी के बिहार, हमनी के बात।”
बिहार के सांस्कृतिक अस्मिता –
• “भोजपुरी भाषा, लोक गीत आ त्योहार हमनी के जोड़ेले।”
• “एह संस्कृति के आगे बढ़ावे से बिहार के पहचान मजबूत होई।”
• “युवा लोगन में अपना संस्कृति पर गर्व जागे के चाहीं।”
• “पर्यटन, मीडिया आ कला से बिहार के अस्मिता के आगे बढ़ावल जाव।”