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Qurratulain Hyder could weave a story in a manner that was quick in its pace and yet lingering in its mood. Her characters, often from urban backgrounds, live lives riddled with irony, while Qurratulain Hyder narrates their story with sardonic humour.
One of the sharpest minds of her times, she spread her wings wide in the literary skies- she wrote for newspapers, short stories, memoirs and that magnificent historical novel, Aag Ka Dariya ( that she later translated into English herself as River of Fire)- a novel that encompasses the fates of four recurring characters over two and a half millennia.
Let’s listen today to a story that well illustrates her sparkling skills as a storyteller par excellence!
कुर्रतुलैन हैदर एक ऐसी कहानीकार थीं जिनके कथानक गति में तेज़ और फिर भी अपने मूड में स्थिर होते हैं। उनके पात्र, जो अक्सर शहरी पृष्ठभूमि से होते हैं, विडंबनाओं से भरे जीवन जीते हैं, कुर्रतुलैन हैदर उन पात्रों की कहानी अपनी अनूठी व्यंग्यात्मक शैली के साथ बयान करती हैं। अपने समय की सबसे प्रखर लेखकों में से एक, उन्होंने साहित्य के आसमान में अपने पंख फैलाए- उन्होंने अखबारों, लघु कथाओं, संस्मरणों के साथ-साथ उन्होंने वह शानदार ऐतिहासिक उपन्यास, आग का दरिया लिखा, जिसका बाद में उन्होंने खुद अंग्रेजी में ‘रिवर ऑफ फायर’ के रूप में अनुवाद किया। ये एक ऐसा उपन्यास है जो ढाई सहस्राब्दियों में चार आवर्ती पात्रों के भाग्य को समेटे हुए है।
आइए आज एक ऐसी कहानी सुनें जो एक कहानीकार के रूप में उनके शानदार कौशल को बखूबी दर्शाती है!
ऐनी आपा के नाम से जानी जानी वाली क़ुर्रतुल ऐन हैदर प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखिका थीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता थे 'सज्जाद हैदर यलदरम' जो उर्दू के जाने-माने लेखक तो थे ही, साथ ही ब्रिटिश शासन के राजदूत की हैसियत से अफगानिस्तान, तुर्की इत्यादि देशों में भी रहे और उनकी मां 'नजर' बिन्ते-बाकिर भी उर्दू की लेखिका थीं। कुर्रतुलऐन बचपन से ही पाश्चात्य संस्कृति में पली-बढ़ीं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा लालबाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश स्थित गाँधी स्कूल में प्राप्त की व तत्पश्चात अलीगढ़ से हाईस्कूल पास किया।उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। फिर लन्दन के हीदरलेस आर्ट्स स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय में उनके भाई-बहन व रिश्तेदार पाकिस्तान पलायन कर गए। लखनऊ में अपने पिता की मौत के बाद कुर्रतुल ऐन हैदर भी अपने बड़े भाई मुस्तफा हैदर के साथ पाकिस्तान पलायन कर गयीं। लेकिन वहां से वे लन्दन चली गयीं। वहाँ स्वतंत्र लेखक व पत्रकार के रूप में वह बीबीसी लन्दन से जुड़ीं तथा दि टेलीग्राफ की रिपोर्टर व इम्प्रिंट पत्रिका की प्रबन्ध सम्पादक भी रहीं। कुर्रतुल ऐन हैदर इलेस्ट्रेड वीकली के संपादन से भी जुडी रही । १९५६ में जब वे भारत भ्रमण पर आईं तो उनके पिताजी के अभिन्न मित्र मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने उनसे पूछा कि क्या वे भारत आना चाहतीं हैं? कुर्रतुल ऐन हैदर के हामी भरने पर उन्होंने इस दिशा में कोशिश करने की बात कही और अन्ततः वे वह लन्दन से आकर मुम्बई में रहने लगीं और तब से भारत में हीं रहीं। उन्होंने विवाह नहीं किया। उन्होंने अपना कैरियर एक पत्रकार की हैसियत से शुरू किया लेकिन इसी दौरान वे लिखती भी रहीं और उनकी कहानियां, उपन्यास, अनुवाद, रिपोर्ताज़ वग़ैरह सामने आते रहे। वो उर्दू में लिखती और अँग्रेजी में पत्रकारिता करती थीं। उनके बहुत से उपन्यासों का अनुवाद अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा में हो चुका है। साहित्य अकादमी में उर्दू सलाहकार बोर्ड की वे दो बार सदस्य भी रहीं। विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में वे जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय व अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अतिथि प्रोफेसर के रूप में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से भी जुड़ी रहीं।१९५९ में उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास आग का दरिया प्रकाशित हुआ जिसे आज़ादी के बाद लिखा जाने वाला सबसे बड़ा उपन्यास माना गया। -----About this channel: On this Youtube channel, you can listen to Hindi and Urdu Stories by famous writers of Hindi sahitya/ literature. Here you will find stories and poetry by great authors of Hindi and Urdu. Some of these are classics and others are rare gems that you may never have heard or read. There are works by well known writers such as Premchand, Sharat Chandra, Manto, Ismat Chughtai, Mohan Rakesh, Phanishwar Nath Renu, Mannu Bhandari, Harishankar Parsai. -----
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Qurratulain Hyder could weave a story in a manner that was quick in its pace and yet lingering in its mood. Her characters, often from urban backgrounds, live lives riddled with irony, while Qurratulain Hyder narrates their story with sardonic humour.
One of the sharpest minds of her times, she spread her wings wide in the literary skies- she wrote for newspapers, short stories, memoirs and that magnificent historical novel, Aag Ka Dariya ( that she later translated into English herself as River of Fire)- a novel that encompasses the fates of four recurring characters over two and a half millennia.
Let’s listen today to a story that well illustrates her sparkling skills as a storyteller par excellence!
कुर्रतुलैन हैदर एक ऐसी कहानीकार थीं जिनके कथानक गति में तेज़ और फिर भी अपने मूड में स्थिर होते हैं। उनके पात्र, जो अक्सर शहरी पृष्ठभूमि से होते हैं, विडंबनाओं से भरे जीवन जीते हैं, कुर्रतुलैन हैदर उन पात्रों की कहानी अपनी अनूठी व्यंग्यात्मक शैली के साथ बयान करती हैं। अपने समय की सबसे प्रखर लेखकों में से एक, उन्होंने साहित्य के आसमान में अपने पंख फैलाए- उन्होंने अखबारों, लघु कथाओं, संस्मरणों के साथ-साथ उन्होंने वह शानदार ऐतिहासिक उपन्यास, आग का दरिया लिखा, जिसका बाद में उन्होंने खुद अंग्रेजी में ‘रिवर ऑफ फायर’ के रूप में अनुवाद किया। ये एक ऐसा उपन्यास है जो ढाई सहस्राब्दियों में चार आवर्ती पात्रों के भाग्य को समेटे हुए है।
आइए आज एक ऐसी कहानी सुनें जो एक कहानीकार के रूप में उनके शानदार कौशल को बखूबी दर्शाती है!
ऐनी आपा के नाम से जानी जानी वाली क़ुर्रतुल ऐन हैदर प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखिका थीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता थे 'सज्जाद हैदर यलदरम' जो उर्दू के जाने-माने लेखक तो थे ही, साथ ही ब्रिटिश शासन के राजदूत की हैसियत से अफगानिस्तान, तुर्की इत्यादि देशों में भी रहे और उनकी मां 'नजर' बिन्ते-बाकिर भी उर्दू की लेखिका थीं। कुर्रतुलऐन बचपन से ही पाश्चात्य संस्कृति में पली-बढ़ीं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा लालबाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश स्थित गाँधी स्कूल में प्राप्त की व तत्पश्चात अलीगढ़ से हाईस्कूल पास किया।उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। फिर लन्दन के हीदरलेस आर्ट्स स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय में उनके भाई-बहन व रिश्तेदार पाकिस्तान पलायन कर गए। लखनऊ में अपने पिता की मौत के बाद कुर्रतुल ऐन हैदर भी अपने बड़े भाई मुस्तफा हैदर के साथ पाकिस्तान पलायन कर गयीं। लेकिन वहां से वे लन्दन चली गयीं। वहाँ स्वतंत्र लेखक व पत्रकार के रूप में वह बीबीसी लन्दन से जुड़ीं तथा दि टेलीग्राफ की रिपोर्टर व इम्प्रिंट पत्रिका की प्रबन्ध सम्पादक भी रहीं। कुर्रतुल ऐन हैदर इलेस्ट्रेड वीकली के संपादन से भी जुडी रही । १९५६ में जब वे भारत भ्रमण पर आईं तो उनके पिताजी के अभिन्न मित्र मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने उनसे पूछा कि क्या वे भारत आना चाहतीं हैं? कुर्रतुल ऐन हैदर के हामी भरने पर उन्होंने इस दिशा में कोशिश करने की बात कही और अन्ततः वे वह लन्दन से आकर मुम्बई में रहने लगीं और तब से भारत में हीं रहीं। उन्होंने विवाह नहीं किया। उन्होंने अपना कैरियर एक पत्रकार की हैसियत से शुरू किया लेकिन इसी दौरान वे लिखती भी रहीं और उनकी कहानियां, उपन्यास, अनुवाद, रिपोर्ताज़ वग़ैरह सामने आते रहे। वो उर्दू में लिखती और अँग्रेजी में पत्रकारिता करती थीं। उनके बहुत से उपन्यासों का अनुवाद अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा में हो चुका है। साहित्य अकादमी में उर्दू सलाहकार बोर्ड की वे दो बार सदस्य भी रहीं। विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में वे जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय व अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अतिथि प्रोफेसर के रूप में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से भी जुड़ी रहीं।१९५९ में उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास आग का दरिया प्रकाशित हुआ जिसे आज़ादी के बाद लिखा जाने वाला सबसे बड़ा उपन्यास माना गया। -----About this channel: On this Youtube channel, you can listen to Hindi and Urdu Stories by famous writers of Hindi sahitya/ literature. Here you will find stories and poetry by great authors of Hindi and Urdu. Some of these are classics and others are rare gems that you may never have heard or read. There are works by well known writers such as Premchand, Sharat Chandra, Manto, Ismat Chughtai, Mohan Rakesh, Phanishwar Nath Renu, Mannu Bhandari, Harishankar Parsai. -----
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