"बाणासुर की तपस्या और उसे शिव द्वारा वर प्राप्ति, शिव का गणों और पुत्रो सहित उसके नगर में निवास करना, बाणपुत्री उषा का रात के समय स्वप्न में अनिरुद्ध के साथ मिलन, चित्रलेखा द्वारा अनिरुद्ध का द्वारका से अपहरण, बाण का अनिरुद्ध को नागपाश में बांधना , दुर्गा के स्तवन से अनिरुद्ध का बंधन मुक्त होना, नारद द्वारा समाचार पाकर श्री कृष्ण की शोणितपुर पर चढ़ाई, शिव के साथ उनका घोर युद्ध , शिव की आज्ञा से श्री कृष्ण का उन्हें जृम्भणास्त्र से मोहित करके बाण की सेना का संहार"