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भले दिनों की बात है | अहमद फ़राज़ साहब की उर्दू से मोहब्बत किसी से छिपी नहीं। अपनी कलम के साथ गद्दारी ना करना ही फ़राज़ साहब को ज़माने से अलग करता है। सच्चाई और बेबाकी फ़राज़ साहब की पहचान थी, ऐसी ही एक नज़म भले दिनों की बात है और अहमद फ़राज़ साहब की ज़िन्दगी से रूबरू करवाएंगे आपको @RadioKaBachchan
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भले दिनों की बात है | अहमद फ़राज़ साहब की उर्दू से मोहब्बत किसी से छिपी नहीं। अपनी कलम के साथ गद्दारी ना करना ही फ़राज़ साहब को ज़माने से अलग करता है। सच्चाई और बेबाकी फ़राज़ साहब की पहचान थी, ऐसी ही एक नज़म भले दिनों की बात है और अहमद फ़राज़ साहब की ज़िन्दगी से रूबरू करवाएंगे आपको @RadioKaBachchan
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