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यह साल लोगों के लिए हैरान-परेशान करने वाला रहा। सब यही चाह रहे हैं कि बस, अब जल्द सब पहले की तरह हो जाए। साल के बचे दिन शांति से गुज़र जाएं। पर चाहने और होने में अंतर होता है। हमें अभी अपना और अपनों का ध्यान आगे भी रखना है। कमजोर हो चुके भरोसे को फिर से मजबूत करना है। कैसे बढ़ाएं नए साल की ओर कदम, तेरी-मेरी बात में इसी पर बात।
यह साल लोगों के लिए हैरान-परेशान करने वाला रहा। सब यही चाह रहे हैं कि बस, अब जल्द सब पहले की तरह हो जाए। साल के बचे दिन शांति से गुज़र जाएं। पर चाहने और होने में अंतर होता है। हमें अभी अपना और अपनों का ध्यान आगे भी रखना है। कमजोर हो चुके भरोसे को फिर से मजबूत करना है। कैसे बढ़ाएं नए साल की ओर कदम, तेरी-मेरी बात में इसी पर बात।
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