After Meals Mantra भोजन उपरांत मन्त्र ★
भोजन के बाद पेट पर हाथ फेरते वक्त यह श्लोक बोला जाता है-
अगस्त्यं कुम्भर्कण च शनिं च वडवानलम् । आहार परिपाकाम स्मरेद् भीमं च पञ्चकम्।।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः ।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः ।। ★
केवल तीन आचमन में संपूर्ण समुद्र प्राशन करने वाले अगस्त्य मुनि, महाप्रचंड आहार लेकर उसे अच्छी तरह पचाने वाले कुंभकर्ण, महाशक्तियों को झुकाने वाला और मनुष्य का सर्वस्व हरण करने वाला शनि, निमिष में संपूर्ण जंगल भस्म करने वाला वडवानल तथा नितांत भूखा भीम - इनका स्मरण होते ही अन्न उत्तम रीति से पच जाता है।
अन्न से सब प्राणी उत्पन्न होते हैं, और वर्षा से अन्न उत्पन्न होता है।
यज्ञ से वर्षा होती है, अतः यज्ञ कर्म का स्रोत है।