डॉ. सुनीता शर्मा जी ने एम.ए, एम.एड. और हिन्दी में पीएच. डी. की है और विगत बाईस वर्षों से अध्यापन का कार्य कर रही है। आपके निर्देशन में छियालीस छात्रों ने एम. फिल तथा चार छात्रों ने पीएच. डी की डिग्री प्राप्त की है।
डॉ शर्मा जी ने चार पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें - रूक्मिणी विवाह संबंधी मध्ययुगीन हिन्दी मगल काव्य- लोकसांस्कृतिक अध्ययन, डुग्गर के वैवाहिक लोकगीत - पहचान तथा परख, उसी तरह शर्माजी की तीसरी किताब है - साहित्येहासिक दृष्टि में घनानंद और चौथी किताब है- पंजाब तथा डुग्गर के लोक प्रसंग।
आपके द्वारा लिखित सोलह अध्याय पुस्तकों में प्रकाशित हुए है। आपका लेखन कार्य निरंतर जारी है। आप, भाषा संकाय बोर्ड ऑफ स्टडीज गुरूनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर की सदस्या भी है। अब तक आपने कुल पचास से अधिक संगोष्ठियों एवं कॉन्फ्रेंस में स्रोत वक्ता, ब्रीज वक्ता के रूप में सहभाग लिया है। आपको वी.राघवन, वी. जी. राहूरकर तथा हिन्दी भाषा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।