ॐ (ओम्)
यह ध्वनि पांचो परमेष्ठी नामों के पहले अक्षर मिलाने पर बनती है। यथा अरहन्त का पहिला अक्षर 'अ', अशरीरी (सिद्ध) का 'अ', आचार्य का 'आ', उपाध्याय का 'उ', तथा मुनि (साधु) का 'म्', इस प्रकार
अ+अ+आ+उ+म् = ॐ
(यह 'ओउम्' भी लिखा पाया जाता है जो कि अशुद्ध है।)
'ॐ' का निरंतर जाप करने से आंतरिक और बाह्य विकारों का भी निदान होता है। दिमाग शांत होता है और बहुत-सी शारीरिक तकलीफें दूर होती हैं। इसके नियमित जाप से व्यक्ति के प्रभामंडल में वृद्धि होती है।
कैसे करें 'ॐ' का जाप... ??
* किसी शांत जगह का चुनाव करें।
* यदि सुबह जल्दी उठकर जाप कर पाएं तो बहुत अच्छा। यदि ऐसा संभव न हो, तो रात को सोने से पहले इसका जाप करें।
* ॐ का जाप करने के लिए किसी भगवान की मूर्ति, चित्र, धूप, अगरबत्ती या दीये की जरूरत नहीं होती है।
* यदि खुली जगह जैसे कोई मैदान, छत या बगीचा न हो तो कमरे में ही इसका जाप करें।
* साफ जगह पर जमीन पर आसन बिछाकर जाप करें। पलंग या सोफे पर बैठकर जाप न करें।
* 'ॐ' का उच्चारण तेज आवाज में करें।
* उच्चारण खत्म करने के बाद 2 मिनट के लिए ध्यान लगाएं और फिर उठ जाएं।
* इस मंत्र के नियमित जाप से तनाव से पूरी तरह मुक्ति मिलती है।
* जाप के दौरान टीवी, म्यूजिक सिस्टम आदि बंद कर दें। कोशिश करें कि जाप के दौरान शोर न हो।
* साफ आसन पर पद्मासन अथवा सुखासन में बैठें और आंखें बंद कर पेट से आवाज निकालते हुए जोर से ॐ का उच्चारण करें। ॐ को जितना लंबा खींच सकें, खींचें। सांस भर जाने पर रुकें और फिर यही प्रक्रिया दोहराएं।