Ghantakarna Stotra 1 घण्टाकर्ण स्तोत्र 1 ★
ॐ घंटाक्णों महावीर, सर्व व्याधि विनाशकः। विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबल: ॥१ ॥ लक्ष्मी वृद्धिकरं देवं, ह्रीं कराय नमोऽस्तु ते। यत्र त्वं तिष्ठसे देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः । रोगास्तत्र प्रणश्यंति, बातपित्तकफोद्भवाः ॥२ ॥ तत्र राजभयं नास्ति, यांति कर्णे जपात्क्षयं शाकिनी भूतवेताला, राक्षसा च प्रभवन्ति न पिशाचा ब्रह्म राक्षसाः ॥३॥
नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दृश्यते। ग्रह देवा क्षेत्रपाला, स्वन भवंति कदाचन ॥ अग्नि चोर भयं नास्ति, ह्रीं घंटाकर्णों नमोस्तुते ।॥४॥ ॐ ह्रीं श्रीं क्लौं ब्ली ऐं घण्टा कणों नमोस्तुते ॐ नर वीर ठः ठः ठः स्वाहा।
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विधि- यह घंटाकर्ण मंत्र का जाप ४२ दिन तक प्रतिदिन त्रिकाल १०८ बार जपें। धुप खेवें। मिर्च, सरसों जप कर होम करें तो अनिष्ट देव का भय नहीं होता।