Holika Dahan Pujan Vidhi होलिका दहन पूजन विधि
शुभ मुहूर्त में देशकाल एंव नाम गोत्र उच्चारण पूर्वक
"मम सकुटुम्बस्य ढुण्ढा राक्षसीप्रीत्यर्थे तत्पीड़ापरिहारार्थम् होलिका पूजनं च अहं करिष्ये।"
इस मंत्र से संकल्प करें तत्पश्चात ध्यान मंत्र से ध्यान करें-
'असृक्याभयसंत्रस्त्रैः कृत्वा त्वं होलिवालिशैः ।
तस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ।।'
तत्पश्चात
दीप मंत्र-
'दीपयाम्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे ।
हिताय सर्व जगताय पीतये पार्वतीपतेः ॥'
से यथाविधि पूजन करें। पूजन कर के
'अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम् ।।' बोलते हुए जल अर्पित करें, फिर प्रज्जवलित होलिका की 3 बार ’ॐ होलिकायै नमः'
मंत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करें।
दहन के दौरान गेहूँ की बाल को इसमें सेंकना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन के समय बाली सेंककर घर में फैलाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। यह त्योहार नई फसल के उल्लास में भी मनाया जाता है।
फिर दूसरे दिन होलिकाभस्म धारण मंत्र-
'वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्राणा शंकरेण च
अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिः भूतिदा भव ।।'
इस मंत्र को पढ़कर भस्म को मस्तक, सीने व नाभि में लगाएं तथा घर के हर कोने में थोड़ी से छिड़क दें। ऐसा करने से घर में शुद्ध वातावरण रहेगा एवं सुख-समृद्धि बनी रहेगी।