उन दिनों अपने घर से ट्यूशन जाते वक़्त मुझे रोज़ ही लकड़ी का भारी गट्ठर उठाए कुछ आदिवासी मज़दूर तेज़-तेज़ कदमों से भागते नज़र आते थे। मैं पहले उन्हें देखा करता, फिर उनके सिर पर रखे गट्ठर को और फिर उनकी तेज़ रफ्तार को। उसके बाद मैं अपने हाथ में दबी कुछेक सौ पन्नों की उस फिज़िक्स की क़िताब को देखता, जो मुझे उस लकड़ी के गट्ठर से भी ज़्यादा भारी मालूम पड़ती थी। इस मज़ेदार क़िस्से में एक शरारती और बेपरवाह स्टूडेंट है। उसके सख़्तमिज़ाज पिता हैं। एक जेंटलमैन टीचर भी है और सबसे बढ़कर, स्कूल के दिनों का पहला क्रश भी है। एक ऐसी कहानी, जो रोमांस के पावरफुल इंजन को लिए कॉमेडी की पटरी पर दौड़ते-दौड़ते ट्रैजेडी की सुरंग में जाकर पलट गई। विवेक जेटली की आवाज़ में सुनिए दिलीप कापसे की यादों से निकला एक मज़ेदार लेकिन दिमाग़ हिला देने वाला क़िस्सा। #KissaBazaar #HindiStory #VivekJaitly #DilipKumarKapse #Sadhana #StoryTeller #StoryTelling #HindiStoryTelling #NewStories #StoriesByDilipKumarKapse #StoryTellerVivekJaitly हमारे साथ जुड़ने के लिए Subscribe करें हमारा चैनल #kIssaBazaar और अगर आपको ये वीडियो पसंद आया हो तो Like, Comment, Share ज़रूर करें।