इस अनसुलझे परिस्थितियों से जूझने की कोशिश वो बार-बार कर रही होगी। चाहे वो लाख व्यस्त हो मेरी माँ मुझे हर वक़्त याद कर रही होगी।
बिन खिलाये मुझे वो खाया नहीं करती, मेरी माँ है वो जो अपना दुःख बताया नहीं करती।
उसकी एक ख़ुशी को मैं अब कहने लगा हूँ झूठ, बस वो चिन्ता न करे इसलिए कह देता हूँ अक्सर कि मिटा ली मैंने अपनी भूख।
माँ जो तुझसे है वो मैं कभी बता नहीं पाता, मेरी ज़िंदगी में तेरी अहमियत मैं कभी जता भी नहीं पाता।