द्रौपदी स्वयंवर के पहले भाग में हमने चर्चा की उस बहुचर्चित भ्रांति पर जिसमे कहा जाता है कि द्रौपदी ने कर्ण को स्वयंवर में भाग लेने से मना कर दिया था। ये बहुचर्चित घटना जिसका वर्णन आज के ज्यादातर समकालीन रचनाओं में होता है, उसे विद्वानों ने संदर्भ समीक्षा द्वारा खारिज कर दिया है और सिद्ध किया है कि ये संभव था ही नहीं।
अर्जुन द्वारा द्रौपदी स्वयंवर को विजित कर लिए जाने के पश्चयात, अपने असफलताओ से तिलमिलाए राजपुरुषों ने तय किया कि वो द्रौपदी को जीवित ही अग्निकुंड में फेंक देंगे। जब कर्ण सहित अन्य राजाओं ने आक्रमण का उपक्रम किया तो बढ़ कर अर्जुन और भीमसेन ने उनका सामना किया और यही पृष्ठभूमि बनी प्रथम अर्जुन-कर्ण द्वंद्वयुद्ध का।
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