बहुत गफ़लत होती है!, बेहद परेशानी! बड़ी बैचेनी! एक तरह से उलझन में डाल देनेवाली स्थिति, जब लोग कोई ग़लत राय बना लेते हैं हमारे बारे में! कोई टैग लगा देते हैं हम पर! या फ़िर सोचने लगते हैं कुछ ऐसा हमारे बारे में जैसे हम वास्तव में हैं ही नहीं ! फ़िर चाहे वो हमारे घरेलू मामले हों, रिश्तेदार हों,सहकर्मी हों,या फ़िर पड़ोसी कोई....लोगों की इसतरह की ग़लतफ़हमी या फ़िर कभी कभी खुशफ़हमी का हम आए दिन शिकार होते रहते हैं! अब सोचनेवाली बात यह है कि हम ऐसे तथाकथित लोगों, ऐसी परिस्थितियों से आख़िर कैसे निपटें?