नमस्कार प्यारे दोस्तों,साथियों, एक बेहद रुचिकर विषय के साथ हम बढ़ रहे हैं हमारी श्रृंखला की पूर्णता की ओर.... चाहे पूजा हो,पाठ हो,होम हवन हो,तप हो,तपस्या हो,आराधना हो,प्रार्थना हो, अनुष्ठान हो या कर्म कोई .....परन्तु इस सब का कोई न कोई प्रयोजन अवश्य होता है। जैसे प्रत्येक क्रिया का कोई न कोई कारण भी होता ही है। वैसे ही जब भी किसी कर्म की पूर्णता की ओर बढ़ते हैं हम .....हमें प्राप्त करना होता है कुछ न कुछ अवश्य....मनुष्य की सबसे बड़ी,महत्वपूर्ण इच्छा, आकांक्षा और महत्वाकांक्षा होती है विभिन्न प्रकार की शक्तियों को प्राप्त करना! read more - शक्ति और सामर्थ्य