अगर आप को दिनकरजी के महाकाव्य रश्मि रथी को पढ़ने का मौका न लगा हो तो जरूर सुने। रश्मि रथी कर्ण के शूर वीरता व दान वीरता का वर्णन है, उसके जीवन मे आने वाले हर उतार चढ़ाव का वर्णन है। अगर आप हिन्दी भाषा के प्रेमी है तो आपको बहुत अच्छा लगेगा। दिनकर जी बहुत ही सधे हुए लेखक व कवि थे।
प्रथम भाग मे दिनकरजी ने इस बात पर जोर दिया है कि पुष्प वन मे खिले या राजमहल के उद्यान मे, दोनों फूलों का महत्व समान होता है। उसी तरह वीर राजमहल मे जन्मे या गरीब की कुटीर मे, वे समान होते हैं।
दूसरे भाग मे कवि ने कर्ण कैसे सभा मे सबके सम्मुख आकर अर्जुन को ललकारते हैं, उसका वर्णन किया है।