Shrimad Bhagwat Geeta ka Shlok. श्रीमद् भागवत गीता का श्लोक|😇❤. By:- Rahil.😇 यदा यदा : जब-जब,
हि: वास्तव में,
धर्मस्य: धर्म की,
ग्लानि: हानि,
भवति: होती है,
भारत: हे भारत,
अभ्युत्थानम्: वृद्धि,
अधर्मस्य: अधर्म की,
तदा: तब तब,
आत्मानं: अपने रूप को रचता हूं,
सृजामि: लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ,
अहम्: मैं
परित्राणाय: साधु पुरुषों का,
साधूनां: उद्धार करने के लिए,
विनाशाय: विनाश करने के लिए,
च: और,
दुष्कृताम्: पापकर्म करने वालों का,
धर्मसंस्थापन अर्थाय: धर्मकी अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए,
सम्भवामि: प्रकट हुआ करता हूं
युगे युगे: युग-युग में.