श्री भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 39 में भगवान श्रीकृष्ण तामस सुख का वर्णन करते हैं। यह सुख आरंभ और परिणाम दोनों में आत्मा को मोह में डालने वाला होता है। यह आलस्य, प्रमाद और अज्ञान से उत्पन्न होता है और व्यक्ति को निष्क्रिय और भ्रमित करता है। जानें तामस सुख के प्रभाव और इससे बचने के उपाय।
Tags:
श्री भगवद गीता, अध्याय 18, श्लोक 39, तामस सुख, आलस्य, प्रमाद, अज्ञान, भगवद गीता ज्ञान, जीवन का सत्य, श्रीकृष्ण उपदेश, आध्यात्मिक शिक्षा, आत्मिक विकास