89..मेरी प्रीत परम पुनित अति पावन, अरू तुम हो हार गहन गुहाके।मेरी प्रीत बनके जाना जगतां,उत प्यार लहरी लहराना भगतिमें। तुम प्यार सुरभि प्रसराना प्यारे ।तुम नित्य शुद्धाय मम रूप न्यारे।तुमतो मेरे ह्रदयकमलनमें,तुम हो मेरे ह्रदय कमलनमें,एक अकेला समाना न खुदको(2);श्रद्धा करो तुम प्रेमपूरण हो (2),मेरी बाँह पकडके चले जब(2);मेरी प्रीत पवित्र भुलानाना तुम,मैं तुम्हरे कारण आया जगतां,मैंतो तुम्हरे कारण आया अवनीमें।।;मेरी प्रीत पवित्र भूलाना ना तुम;मैं तुम्हरी पाकारस्य सुनके मैं आया,तुम्हरे बुलानेसे ही मैं आया।; शमा जले हैं तेरे लिये बस,तुझे कछु नहीं करनाखेल खेलनमें।