सिंधी अबाणी बोली, मिठिड़ी अबाणी बोली,
तंहिंखे मां कीअं विसारियां, जिंद जान तंहिंतां वारियां,
जंहिं में डिनी आ मूंखे पींघे में माउ लोली!"
मातृभाषा हमारी पहचान है, अपनी भाषा में पाया गया ज्ञान सदियों तक याद रहता है। यूनेस्को ने मातृभाषा को सम्मानित करते हुए 21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया है। अपनी भाषा से प्रेम करे और सुनते रहे सिंधी संस्कृति पॉडकास्ट सिर्फ़ ऑडियो पिटारा पर।
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