हरि हरि बोल🙏🙏इस में चंबा से रजनी जी ने अध्याय 15 पुरषोत्तम की प्राप्ति का सार)बहुत अच्छे से समझाया ,जिसमें हमने जाना कि 🌺जीव आत्मा जन्म मृत्यु के चक्कर में अलग अलग योनियों में भटक रही है,जैसे पीपल का पेड़ कहां से शुरू होता है कहां खतम,कुछ समझ नही आता ,ऐसे ही मनुष्य योनि ने आकर हम भी उलझे हुए हैं🌺घर, गाड़ी,बंगला पाने के लिए पैसा कमाने के पीछे भाग रहे हैं और प्रभु से विमुख होकर भूल चुके हैं कि असल में यह जीवन किस लिए मिला है🌺तो प्रभु को विरक्ति से पाया जा सकता है,हमें संसार के मान मोह से मुक्त होना है और प्रभु के शरणागत होना है,हर काम को भक्ति से जोड़ना है🌺सत्संग,सेवा,साधना करते हुए निरंतर प्रभु को पाने का प्रयास करना है,चिंता छोड़ कर चिंतन की तरफ बढ़ना है,तो भगवान के धाम तक पहुंचने के लिए हमें अनन्य भाव से चलते रहना है,भगवान के धाम में किसी चीज की कमी नहीं,बिजली,पानी,सब ऐशो आराम है🌺तो संसार रूपी दुखालय से छुटकारा पाने के लिए निरंतर भजते रहना है_जप हरे कृष्ण,जप हरे रामा,ले श्री हरि का नाम_हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 🙏🙏