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हिंदी साहित्य के बेहतरीन कवि एवं कथाकार, अज्ञेय द्वारा लिखित, सत्य घटना पर आधारित कहानी- दरोगा अमीचंद.
अज्ञेय का जीवन परिचय: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन , उपनाम -'अज्ञेय' कथा-साहित्य के स्तम्भ माने गए हैं। उनका लेखन बहुत विविध था और वे कवि, शैलीकार,ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाने गए. अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को साहित्य जगत में लाने वाले कवि कहलाते हैं। बहुआयामी व्यक्तित्व के प्रखर कवि होने के साथ-साथ वे एक बेहतरीन फोटोग्राफर और पर्यटक भी थे।1964 में आँगन के पार द्वार पर उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ और 1978 में कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार।
उनके पिता पुरातत्व विभाग के लिए काम करते थे और उनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया, पुरातत्व-खुदाई शिविर में हुआ।उनका बचपन पिता के कार्य के कारण अलग अलग जगहों पर बीता- लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। बी.एससी. करके अंग्रेजी में एम.ए. करते समय भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारी गुट से से जुड़कर बम बनाते हुए पकड़े गये लेकिन फरार हो गए। सन्1930 ई. के अन्त में पकड़ लिये गये।
1930 से 1936 तक उनके दिन जेलों में कटे। 1936-37 में अज्ञेय ने सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का संपादन किया। 1943 से 1946 तक ब्रिटिश सेना में भी रहे; इसके बाद इलाहाबाद से 'प्रतीक' नामक पत्रिका निकाली और ऑल इंडिया रेडियो में नौकरी करने लगे। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और जोधपुर विश्वविद्यालय तक में अध्यापन भी किया। दिल्ली लौट 'दिनमान' साप्ताहिक, नवभारत टाइम्स, अंग्रेजी पत्र वाक् और एवरीमैंस जैसी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं का संपादन अज्ञेय जी ने किया। 1980 में उन्होंने 'वत्सलनिधि' नामक एक न्यास की स्थापना की जिसका उद्देश्य साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करना था। दिल्ली में ही 4 अप्रैल 1987 को उनकी मृत्यु हुई।
अज्ञेय की प्रमुख रचनाएँ :
कहानियाँ:-विपथगा 1937, परम्परा 1944, कोठरी की बात 1945, शरणार्थी 1948, जयदोल 1951
उपन्यास:-शेखर एक जीवनी- प्रथम भाग(उत्थान)1941, द्वितीय भाग(संघर्ष)1944, नदी के द्वीप 1951, अपने अपने अजनबी 1961 । यात्रा वृतान्त:- अरे यायावर रहेगा याद? 1953,एक बूँद सहसा उछली 1960।
निबंध संग्रह : सबरंग, त्रिशंकु, आत्मनेपद,
आधुनिक साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य, आलवाल।
आलोचना:- त्रिशंकु 1945, आत्मनेपद 1960, भवन्ती 1971, अद्यतन 1971 ई.।
संस्मरण: स्मृति लेखा डायरियां: भवंती, अंतरा और शाश्वती।
विचार गद्य: संवत्सर नाटक: उत्तरप्रियदर्शी
जीवनी: रामकमल राय द्वारा लिखित शिखर से सागर तक -----