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नमस्कार दोस्तों, सूत्रधर मिनी टेल्स पॉडकास्ट में आप सब का स्वागत है । मैं हूँ आपका मेज़बान निष्कर्ष बाजपई और हम आपके लिए लेकर आये हैं, सूत्रधार की तरफ से मिनी टेल्स पॉडकास्ट। एक ऐसा पॉडकास्ट जहा पर आप... more
FAQs about Sutradhar Mini Tales (हिन्दी):How many episodes does Sutradhar Mini Tales (हिन्दी) have?The podcast currently has 144 episodes available.
June 10, 2022बुध: चंद्रपुत्रएक बार चंद्र देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा पर मोहित हो गए और उनको अपने साथ भगा ले गए।देवताओं ने अपने गुरु का साथ लेते हुए चंद्र से उनकी पत्नी वापस लौटाने को कहा, परंतु दैत्यों ने चंद्र का साथ दिया और देव-दानवों के बीच एक भीषण संग्राम छिड़ गया। तारा की कामना से हुए इस युद्ध को तारकाम्यम संग्राम कहा गया।जब ब्रह्मदेव को लगा की इस युद्ध से उनकी सम्पूर्ण सृष्टि ही नष्ट हो सकती है, तो उन्होंने दोनों के बीच मध्यस्थता करते हुए तारा को देवगुरु के पास वापस भेज दिया।कुछ समय पश्चात तारा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, बुध।बुध और इला के पुत्र पुरुरवा ने चंद्रवंश की स्थापना की। इसी वंश से आगे चलकर यदुवंश और कुरुवंश का प्रादुर्भाव हुआ। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
June 09, 2022इला: वैवस्वत मनु की ज्येष्ठ संतानजब वैवस्वत मनु को वर्षों तक कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने गुरु वशिष्ठ की सहायता मांगी। गुरु वशिष्ठ ने वैवस्वत मनु और उनकी पत्नी श्रद्धा के साथ एक यज्ञ का आयोजन किया।देवी श्रद्धा ने मन ही मन एक पुत्री की कामना की तो यज्ञ के उपरांत उनके गर्भ से एक पुत्री इला का जन्म हुआ। परंतु वैवस्वत मनु को एक पुत्र की इच्छा थी। उन्होंने गुरु वशिष्ठ से अपनी इच्छा व्यक्त की तो गुरु ने इला को पुरुष बना दिया और उसका नाम सुद्युम्न रखा।एक बार सुद्युम्न सुमेरु पर्वत के जंगलों में एक हिरन का शिकार करते हुए एक उपवन में प्रवेश कर गए।उस उपवन में प्रवेश करते ही सुद्युम्न फिर से स्त्री बन गए। वह उपवन देवी पार्वती का क्रीड़ा स्थल था इसलिए शिवजी के प्रताप से उस उपवन में आने वाला कोई भी पुरुष स्त्री बन जाता था। सुद्युम्न जो की अब इला बन गए थे ने भगवान शंकर और देवी पार्वती से फिर से पुरुष बन जाने के लिए कहा।भगवान शंकर के प्रभाव से अब वो हर दूसरे महीने स्त्री से पुरुष में बदल जाते। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
June 08, 2022विवस्वान मनुसूर्यवंश ब्रह्मदेव के मानस-पुत्रों में एक थे मरीचि ऋषि। मरीचि ऋषि के पुत्र थे कश्यप ऋषि। कश्यप ऋषि और उनकी पत्नियों की संतानों से अनेक प्रजातियों का जन्म हुआ। कश्यप ऋषि की पत्नी देवी अदिति देवताओं की माता हैं और उनकी संतानों को आदित्य भी कहते हैं। एक बार देवी अदिति ने सूर्यदेव की कठिन तपस्या की और उनसे उनके गर्भ से जन्म लेने का वर माँगा। सूर्यदेव ने देवी अदिति के पुत्र विवस्वान के रुप में जन्म लिया।विवस्वान के पुत्र थे वैवस्वत मनु। वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु ने सूर्यवंश की स्थापना की, जिसे इक्ष्वाकु वंश नाम से भी जाना जाता है। अंबरीश, सगर, भगीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ और श्रीराम जैसे महान राजाओं ने इस महान वंश में जन्म लिया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
June 07, 2022शक्तिपीठदेवी सती का जला हुआ मृत शरीर देखकर भगवान् शंकर दुःख के सागर में डूब गए और यज्ञ मंडप से सती का आधा जला हुआ शरीर लेकर विश्व में भ्रमण करने लगे। शिवजी को उनके शोक से मुक्त करने के लिए भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। देवी सती के शरीर के अलग-अलग अंग इस धरती पर जहाँ भी गिरे, उन स्थानों को शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more2minPlay
June 06, 2022वीरभद्र और भद्रकालीदक्ष यज्ञ में सती के देह त्याग का समाचार मिलते ही भगवान् शंकर को अत्यंत क्रोध आया। उनके इस असीमित क्रोध से प्रकट हुए महा भयंकर वीरभद्र और भद्रकाली तो उन्होंने दक्ष यज्ञ को विध्वंश करने का आदेश दिया। वीरभद्र और भद्रकाली के रौद्ररूप के सामने दक्ष यज्ञ में उपस्थित किसी भी देवता या ऋषि की एक ना चली और सभी अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे। इस भगदड़ के बीच वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सर धड़ से अलग कर दिया। उधर सभी देवी-देवता भगवान् शंकर की प्रार्थना करने हुए उनसे वीरभद्र और भद्रकाली को रोकने की अर्चना करने लगे। जब भगवान् शंकर का क्रोध शांत हुआ, उन्होंने अपने रौद्ररूपों को रोका और सभी घायल देवी देवताओं और ऋषिओं को ठीक कर दिया। ब्रह्मदेव के प्रार्थना करने पर उन्होंने दक्ष प्रजापति के कटे हुए सर की जगह एक बकरे का सर लगाकर उनको भी जीवित कर दिया और उनको परमब्रह्म के रूप में दर्शन दिए। दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ से परमब्रह्म शिवजी को अर्घ्य देकर अपना यज्ञ संपन्न किया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
June 03, 2022सती दाह (Sati's Sacrifice)दक्ष प्रजापति ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया सिवाय अपनी पुत्री सती और दामाद भगवान् शंकर को। जब सती को पिता के यज्ञ के विषय में पता चला तो उन्होंने जाने की इच्छा व्यक्त की। भगवान् शिव ने उनको ना जाने की सलाह दी क्योंकि उनको यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया गया था। यज्ञ में बिना बुलाये आ जाने के लिए दक्ष ने सती का अपमान किया और उसके बाद शिवजी को भी अपशब्द कहे। अपने पति का अपने ही पिता के द्वारा इस प्रकार अपमान देवी सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने स्वयं को उसी यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर अपना शरीर त्याग दिया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
June 02, 2022दक्ष यज्ञब्रह्मदेव ने एक बार एक महायज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवता और ऋषि उपस्थित हुए। जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ मंडप में प्रवेश किया तो ब्रह्मदेव और शिवजी के अलावा अन्य सभी देवताओं ने अपने आसनों से उठकर उनका सम्मान किया। ब्रह्मदेव तो दक्ष के पिता थे, लेकिन शिवजी के आसन से न उठने को दक्ष ने अपना अपमान समझा और इसी अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने दक्ष यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया परन्तु शिवजी और सती को नहीं बुलाया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
June 01, 2022दक्ष का चंद्र को शापदक्ष प्रजापति की सत्ताईस कन्याओं का विवाह चंद्र के साथ हुआ। चंद्र उनमें से रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे और बाकी छब्बीस को समय नहीं देते थे। जब दक्ष को यह बात पता चली तो उनको चंद्र पर अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने चंद्र को गल-गलकर समाप्त हो जाने का शाप दे दिया। नारद मुनि के सुझाव पर चंद्र ने भगवान् शंकर की शरण ली और शिवजी ने उनको दक्ष के शाप से बचा लिया। शिवजी का इस प्रकार चंद्र को बचाना दक्ष प्रजापति को अच्छा नहीं लगा और यह उन दोनों के बीच मन-मुटाव का एक कारण बना। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
May 31, 2022राजा दक्ष की 27 पुत्रियाँअपने सभी पुत्रों के वैराग्य धारण करने पर दक्ष प्रजापति ने परम पिता ब्रह्मा की आज्ञा का पालन करने के लिए अपनी पत्नी प्रसूति और पंचजनी के गर्भ से पुत्रियों को जन्म दिया। दक्ष की सत्ताईस पुत्रियों का विवाह चंद्र के साथ हुआ, जो की सत्ताईस नक्षत्र हुईं। तेरह पुत्रियों का विवाह कश्यप ऋषि के साथ हुआ, जिनसे अनेक प्रजातियों की उत्पत्ति हुई। दक्ष की दस पुत्रियों का विवाह धर्म के साथ हुआ। भृगु ऋषि की पत्नी ख्याति, मरीचि ऋषि की पत्नी सम्भूति, अंगिरा ऋषि की पत्नी स्मृति, पुलस्त्य ऋषि की पत्नी प्रीति, पुलह ऋषि की पत्नी क्षमा, क्रतु ऋषि की पत्नी सन्नति,अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूया और वशिष्ठ ऋषि की पत्नी ऊर्जा भी दक्ष कन्यायें थी। दक्ष की पुत्री स्वाहा का विवाह अग्निदेव से और रति का विवाह कामदेव से हुआ। उनकी पुत्री सती ने अपने पिता की इच्छा के विपरीत भगवान् शंकर से विवाह किया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
May 30, 2022जब नारद मुनि को मिला श्राप !दक्ष प्रजापति ने ब्रह्मा के आदेशानुसार अनेक पुत्र पैदा किये और उनको संसार का विस्तार करने का आदेश दिया। लेकिन नारद जी ने उन पुत्रों से मिलकर उनको वैराग्य का उपदेश देकर सन्यासी बना दिया। दक्ष को नारद जी पर बड़ा क्रोध आया, परन्तु उन्होंने अपना क्रोध शांत करते हुए और पुत्र पैदा किये तथा उनको भी वही आदेश दिया। लेकिन नारद जी ने इन पुत्रों को भी वैरागी बना दिया। इस बार दक्ष प्रजापति अपने क्रोध को शांत नहीं कर पाए और उन्होंने नारद मुनि को शाप दे दिया कि वो सदा लोक-लोकान्तरों में भटकते रहेंगे। दक्ष प्रजापति के इसी शाप के कारण नारदमुनि सदा त्रिलोकों में विचरण करते हैं और कभी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहते। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
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