ब्रह्माजी ने बालक को कहा की संसार तुम्हें रुद्र के नाम से बुलाएगा और तुम्हारे रहने के लिए मैंने ह्रदय, इन्द्रिय, प्राण, आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, सूर्य, चन्द्रमा और तप की रचना कर दी है। धी, वृत्ति, उशना, उमा, नियुत, सर्पि, इला, अम्बिका, इरावती, सुधा और दीक्षा नाम की ग्यारह रुद्राणियाँ तुम्हारी पत्नियाँ होंगी। अब तुम अपनी प्रजा उत्पन्न कर उनके प्रजापति बनो।
ब्रह्माजी की आज्ञा पाकर रुद्र अपने ही सामान प्रजा उत्पन्न करने लगे। इस प्रकार उत्पन्न प्रजा अपने क्रोध के कारण संसार को नष्ट करने लगी। इसे देखकर ब्रह्माजी ने रुद्र को रोका। ब्रह्माजी ने रुद्र को कहा तुम इस संसार की प्रसन्नता के लिए तप करो और फिर उस तप के प्रभाव से फिर से संसार की रचना करो।
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