Sign up to save your podcastsEmail addressPasswordRegisterOrContinue with GoogleAlready have an account? Log in here.
नमस्कार दोस्तों, सूत्रधर मिनी टेल्स पॉडकास्ट में आप सब का स्वागत है । मैं हूँ आपका मेज़बान निष्कर्ष बाजपई और हम आपके लिए लेकर आये हैं, सूत्रधार की तरफ से मिनी टेल्स पॉडकास्ट। एक ऐसा पॉडकास्ट जहा पर आप... more
FAQs about Sutradhar Mini Tales (हिन्दी):How many episodes does Sutradhar Mini Tales (हिन्दी) have?The podcast currently has 144 episodes available.
April 27, 2022दुंदुभी - एक विशाल बैल दानव( Dundubhi- ek vishal bail danav)जैसे देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा हैं, वैसे ही दानवों में मयासुर शिल्पकार हैं। महाभारत काल में इन्द्रप्रस्ठ का महल मयासुर की शिल्पकला का उदहारण है। मयासुर की पुत्री मंदोदरी रावण की पत्नी थी। मयासुर के सो और पुत्र थे दुंदुभि और मायावी। दुंदुभि का शरीर एक विशालकाय भैंसे के समान था और वो हज़ारों हाथियों से भी ज्यादा बलशाली था। अपने बल के घमंड से चूर एक दिन वो हिमवान पर्वत को द्वंद्व के लिए ललकारने लगा। हिमवान ने उससे कहा,”मुझसे द्वंद्व करने के बजाय किष्किंधा में इंद्र का पुत्र वाली राजा है, उससे द्वंद्व करो।“दुंदुभि ने किष्किंधा जाकर वाली को ललकारा। वाली और दुंदुभि का द्वंद्व कई दिनों तक चला और अंत में वाली ने दुंदुभि का वध कर दिया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
April 26, 2022वानर राज वाली और सुग्रीव की माँ(Vanar raj Vali aur Sugreev ki Maa)ब्रह्माजी ने अपने मनोरंजन के लिए एक सरोवर बनाया और ऋक्षराज को उसकी देखरेख का काम दिया। एक दिन ऋक्षराज उस सरोवर में स्नान करने के लिए चले गए। जब वो सरोवर से बहार निकले तो एक अत्यंत रूपवती स्त्री बन गए। उसी समय इंद्रदेव ने स्त्री रूप में ऋक्षराज को देखा और उन पर मोहित हो गए। इंद्रदेव से ऋक्षराज को जो पुत्र हुआ उसका नाम बाली था। थोड़ी देर बाद सूर्यदेव उधर से निकले और वो भी ऋक्षराज के सुन्दर रूप पर मोहित हो गए। ऋक्षराज को सूर्यदेव से जो पुत्र प्राप्त हुआ वो सुग्रीव थे। एक और मान्यता के अनुसार बाली और सुग्रीव की माता सूर्यदेव के सारथी अरुण का स्त्री रूप अरुणि हैं। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more3minPlay
April 25, 2022राज - वंश मिथिला के संस्थापक (Rajkul mithila ke sansthapak)इक्ष्वाकु के पुत्र थे निमि। निमि अपनी प्रजा के भले के लिए एक महान यज्ञ का आयोजन करना चाहते थे जो कई वर्षों तक चलता। उस यज्ञ के पुरोहित बनने के लिए निमि गुरु वशिष्ठ के पास गए। गुरु वशिष्ठ ने पहले ही इन्द्र के यज्ञ का पुरोहित बनना स्वीकार कर लिया था और उन्होंने निमि को यह बात बता दी। वशिष्ठ ऋषि ने सोचा कि वह इन्द्र का यज्ञ कराने के बाद निमि का यज्ञ भी करा देंगे। उधर निमि ने सोचा कि इतना महान यज्ञ टालना ठीक नहीं है और उन्होंने गौतम ऋषि को पुरोहित बनाकर यज्ञ शुरू करवा दिया। जब वशिष्ठ ऋषि इन्द्र का यज्ञ संपन्न कराकर वापस लौटे और देखा कि निमि ने किसी और को पुरोहित नियुक्त कर दिया है तो उनको अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने निमि को देह रहित हो जाने का शाप दे दिया। जब निमि का यज्ञ संपन्न हुआ तो प्रजा ने देवताओं से विनती की कि उनके प्रिय राजा वापस उनके पास आ जाएँ। अपनी प्रजा की इस प्रकार विनती को सुनकर निमि के उनकी पलकों में रहना स्वीकार किया। कहा जाता है तब से निमि हमारी आँखों की पलकों में रहते हैं, इसीलिए पलक झपकने में जो समय लगता है उसे निमिष भी कहते हैं। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices...more4minPlay
FAQs about Sutradhar Mini Tales (हिन्दी):How many episodes does Sutradhar Mini Tales (हिन्दी) have?The podcast currently has 144 episodes available.