भारतीय समाज में पारंपरिक जिंदगी जीते लोगों के लिए तलाक अब तक बहुत अच्छा काम नहीं माना जाता. एक रिश्ते में बंधे दो लोग अगर साथ होने से तकलीफ में हैं, उन्हें अलग हो जाना चाहिए,कानून ऐसा अधिकार देता है, लेकिन समाज में तलाक को लेकर जो परसेप्शन है,आज भी तलाकशुदा जिंदगी जी रहे लोगों खास कर औरतों को नॉर्मल जिंदगी जीने में मशक्कत करनी पड़ जाती है. ये भूमिका इसलिए कि आज का हमारा विषय इसी के इर्दगिर्द है, तलाक का भारतीय प्रोसेस सबको पता है कि अर्जी डालिए और दोनों पक्षों की सहमति से तलाक लीजिए, कोर्ट उस दौरान ये भी कहेगा कि कुछ दिन साथ रह के एक बार और ट्राय कर लीजिए. ये एक तरीका है,जिसमें एक लंबा वक्त भी लगता है, लेकिन आज बात तलाक के उस तरीके पर जिसमें कोई एक भी चाहे तो तलाक ले सकता है,जिसे ज्यादातर देश अपना रहे हैं और जो कहता है कि तलाक लेने को सामने वाले को अपराधी प्रूव करने की जरूरत नहीं है। इस तरीके को कहते हैं नो फॉल्ट डिवोर्स. क्या है ये और हमारे यहाँ के तलाक से कैसे अंतर है? सुनिए 'ज्ञान-ध्यान' के इस एपिसोड में.