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कांग्रेस के पास अभी दो रास्ते बचे हैं, या तो सोनिया गाँधी, राहुल और प्रियंका के साथ ख़ुद को अलग कर लें और किसी नए नेता को कांग्रेस की कमान सौंपें। यह सोनिया गाँधी और कांग्रेस के लिए बहुत ही चुनौती भरा रास्ता होगा। एक दूसरा रास्ता यह भी है कि सोनिया ख़ुद कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए कार्यवाही अध्यक्षों की नियुक्ति करके भारत भर में भाजपा की नीतियों के ख़िलाफ़ प्रचार करें। आने वाले 7 सितंबर से पहले सोनिया गाँधी को यह फ़ैसला लेना होगा क्योंकि आने वाले 7 सितंबर से कांग्रेस भारत यात्रा निकाल रही है जिसमें कांग्रेस भाजपा के ख़िलाफ़ पूरी भारत भर में प्रचार-प्रसार करने की योजना बना रही है। ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस बुरी तरह लड़खड़ा रही है और अब आगे क्या करें, इस बारे में बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही।
By ABP Live Podcastsकांग्रेस के पास अभी दो रास्ते बचे हैं, या तो सोनिया गाँधी, राहुल और प्रियंका के साथ ख़ुद को अलग कर लें और किसी नए नेता को कांग्रेस की कमान सौंपें। यह सोनिया गाँधी और कांग्रेस के लिए बहुत ही चुनौती भरा रास्ता होगा। एक दूसरा रास्ता यह भी है कि सोनिया ख़ुद कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए कार्यवाही अध्यक्षों की नियुक्ति करके भारत भर में भाजपा की नीतियों के ख़िलाफ़ प्रचार करें। आने वाले 7 सितंबर से पहले सोनिया गाँधी को यह फ़ैसला लेना होगा क्योंकि आने वाले 7 सितंबर से कांग्रेस भारत यात्रा निकाल रही है जिसमें कांग्रेस भाजपा के ख़िलाफ़ पूरी भारत भर में प्रचार-प्रसार करने की योजना बना रही है। ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस बुरी तरह लड़खड़ा रही है और अब आगे क्या करें, इस बारे में बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही।

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