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क्या कांग्रेस का हाइकमान अब लोकमान हो गया है? वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही कहते हैं कि कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के पास न तो अपने विधायकों को जोड़ कर चलने की क्षमता रह गई है, न ही उनके भीतर पार्टी को जिताने का दम रह गया है। कांग्रेस पार्टी के पास मुश्किल से दो प्रदेश हैं, जहाँ पर उनकी सरकार है एक तो राजस्थान और दूसरा मध्य प्रदेश। क्या ऐसे में कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी ने अशोक गहलोत को चुनौती देने का कदम उठाकर ठीक किया? अशोक गहलोत चाहते थे कि अगर वह कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं, तो सचिन पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान नहीं मिलती है। और बेहतर होगा कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्थान के मुख्यमंत्री में एक का चुनाव करना है, तो वह मुख्यमंत्री बने रहना ज़्यादा पसंद करेंगे। लेकिन कांग्रेस को यहाँ पर गहलोत पर जो कदम उठाया वह कितना ठीक था? अच्छा होता कि वह गहलोत को अध्यक्ष पद का पर्चा भरने देती। सवाल तो अजय माकन पर भी उठ रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों के सामने ही सारी बातें उगल दींं। एक सवाल ये भी गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष क्यों नहीं बनना चाहते? राजा की जान तोते में, गहलोत की जान मुख्यमंत्री पद पर। गहलोत ये भी नहीं चाहते थे कि पायलट मुख्यमंत्री बनें। बल्कि उनको युवाओं को मौक़ा देते तो पायलट भी उनके अंदर 3 साल उपमुख्यमंत्री की इंटर्नशिप कर लेते और बाद में मुख्यमंत्री बन कर गहलोत के काम को आगे बढ़ाते। बात तो ये भी उठती है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपने गिरेबाँ में भी झाँककर देखना चाहिए।
By ABP Live Podcastsक्या कांग्रेस का हाइकमान अब लोकमान हो गया है? वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही कहते हैं कि कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के पास न तो अपने विधायकों को जोड़ कर चलने की क्षमता रह गई है, न ही उनके भीतर पार्टी को जिताने का दम रह गया है। कांग्रेस पार्टी के पास मुश्किल से दो प्रदेश हैं, जहाँ पर उनकी सरकार है एक तो राजस्थान और दूसरा मध्य प्रदेश। क्या ऐसे में कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी ने अशोक गहलोत को चुनौती देने का कदम उठाकर ठीक किया? अशोक गहलोत चाहते थे कि अगर वह कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं, तो सचिन पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान नहीं मिलती है। और बेहतर होगा कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्थान के मुख्यमंत्री में एक का चुनाव करना है, तो वह मुख्यमंत्री बने रहना ज़्यादा पसंद करेंगे। लेकिन कांग्रेस को यहाँ पर गहलोत पर जो कदम उठाया वह कितना ठीक था? अच्छा होता कि वह गहलोत को अध्यक्ष पद का पर्चा भरने देती। सवाल तो अजय माकन पर भी उठ रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों के सामने ही सारी बातें उगल दींं। एक सवाल ये भी गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष क्यों नहीं बनना चाहते? राजा की जान तोते में, गहलोत की जान मुख्यमंत्री पद पर। गहलोत ये भी नहीं चाहते थे कि पायलट मुख्यमंत्री बनें। बल्कि उनको युवाओं को मौक़ा देते तो पायलट भी उनके अंदर 3 साल उपमुख्यमंत्री की इंटर्नशिप कर लेते और बाद में मुख्यमंत्री बन कर गहलोत के काम को आगे बढ़ाते। बात तो ये भी उठती है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपने गिरेबाँ में भी झाँककर देखना चाहिए।

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