तिब्बत हमेशा ही भारत और चीन के बीच टकराव की बड़ी वजह रहा लेकिन ये बीज अंग्रेज़ बो कर गए थे. ऐसा ही एक और लड़ाई का बीज उन्होंने अक्साई चिन में बोया जिसके चक्कर में 1962 की जंग हो गई, लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है और ना इतने सीधे हैं भारत-चीन के रिलेशन. कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता, नेहरू की चीन-तिब्बत पॉलिसी, तिब्बत के कर्ता-धर्ताओं की लापरवाही बहुत कुछ है भारत-चीन के टकरावों में. आज इन्हीं की परतें खोलेंगे. गोपनीय सरकारी दस्तावेज़ों से निकली दिलचस्प कहानियों से भरी आज की बैठकी में नितिन ठाकुर के साथ अवतार सिंह भसीन शामिल हैं जिन्होंने ‘Nehru, Tibet and China’ नाम की किताब तो लिखी ही है, वो ख़ुद विदेश मंत्रालय की Historical division के प्रमुख भी रहे हैं.
इस बातचीत में सुनिए:
- Tibet पर चीनी दावे के पीछे क्या लॉजिक हैं?
- अंग्रेज़ों ने किस संधि की आड़ में तिब्बत को बचाए रखा?
- कैसे Tibet का हिस्सा Tawang भारत को मिला?
- 1947 की Asian Conference में China, India से क्यों रूठा?
- क्या चाल चलकर China ने Tibet क़ब्ज़ाया?
- तिब्बत से भागने को क्यों मजबूर हुए Dalai Lama?
- China को लेकर Nehru की Policy confused थी?
- Nehru ने UNSC में स्थायी सीट का मौक़ा चूका?
- 1962 की जंग का असल ज़िम्मेदार कौन था?
- क्या नेहरू सीमा विवाद ख़त्म करने से हिचकते रहे?
- अक्साई चिन को चीन ने कैसे हासिल किया?