अस्पताल और घरों में एएमआर से बचने के आसान तरीके
Sangyan Podcast में एक बार फिर से आपका स्वागत है! आज के एपिसोड में हम कुछ आसान और कारगर तरीकों पर बात करेंगे, जिनसे हम एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से बच सकते हैं, चाहे हम घर पर हों या अस्पताल में।
सबसे पहले बात करते हैं बुनियादी साफ-सफाई की। साबुन और पानी से नियमित हाथ धोना संक्रमण और एएमआर के फैलाव को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। जब हम अपने हाथ ठीक से धोते हैं, तो हम स्पर्श से फैलने वाले कीटाणुओं और प्रतिरोधी बैक्टीरिया को हटा देते हैं। इसके अलावा, घाव को साफ और ढककर रखना भी बहुत जरूरी है। इससे संक्रमण की संभावना कम होती है और एंटीबायोटिक्स की जरूरत भी कम पड़ती है।
अब बात करते हैं दवाओं के सही इस्तेमाल की। एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल केवल तभी होना चाहिए जब डॉक्टर इसकी सलाह दें। एंटीबायोटिक्स का गलत या ज्यादा इस्तेमाल एएमआर को बढ़ावा देता है। मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वे दवा का पूरा कोर्स खत्म करें, भले ही उन्हें पहले से ठीक महसूस हो रहा हो। दवा बीच में छोड़ने से कुछ बैक्टीरिया जीवित रह जाते हैं, जो धीरे-धीरे एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी बन सकते हैं और भविष्य में संक्रमण का इलाज मुश्किल कर सकते हैं।
इसके बाद, खुद से दवा लेने और दूसरों से बांटने से बचें। कभी भी अपने आप एंटीबायोटिक्स न लें और न ही किसी और के साथ अपनी दवाएं साझा करें। हर संक्रमण अलग होता है, और सही इलाज का निर्णय केवल एक डॉक्टर ही कर सकता है। बची हुई दवाओं को खुद से लेना या दूसरों को देना एएमआर को बढ़ा सकता है, जिससे भविष्य के संक्रमण का इलाज और कठिन हो सकता है।
अंत में, वैक्सीनेशन का भी अहम रोल है। टीकाकरण उन संक्रमणों को रोकने में मदद करता है, जिनके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ सकती है। फ्लू और निमोनिया जैसी बीमारियों के लिए टीका लगवाने से एंटीबायोटिक्स की जरूरत कम हो जाती है और प्रतिरोधी बैक्टीरिया का खतरा भी कम होता है। वैक्सीनेशन से एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल घटता है, जिससे एएमआर पर काबू पाया जा सकता है।
आज के एपिसोड में बस इतना ही, ये थे कुछ आसान तरीके जिनसे हम एएमआर से बच सकते हैं। अगले एपिसोड में हम इस महत्वपूर्ण विषय पर और जानकारी देंगे और जानेंगे कि हम अपनी सेहत को और कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। जुड़े रहिए और सुनते रहिए Sangyan Podcast!