एक भावुक कर देने वाली कहानी -
"लली, अब तो दो तीन साल भी बहुत भारी लगे हैं। खैर मरना जीना तो भगवान के हाथ में है। पर जब तक जिऊंगी तुझे असीसती रहूंगी। ये पंद्रह बीस दिन मेरे खूब सुख से बीते , मन भर के खाया , मन भर के सोई । हाथ पैरों में थोड़ी जान आ गईं।"
" तुम्हें अब आराम करना चाहिए बुआ।"
" आराम भी बिटिया ऊपर से लिखा कर लाना होता है तब मिलता है । हमारे भाग में तो नरक उलिचना लिखा है ....
जानने के लिए सुनिए ये कहानी - बुआजी