तुम ऐसा कहते हो के,” मुझे किसी की ज़रूरत नहीं.” और मैं ऐसा कहता हूँ के,”मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.” पर अंदर ही अंदर हम दोनों जानते हैं के हकीकत क्या है, हैंना?
Actually, हमें डर है, judge होने का. हमें पता है के हमारा ये जो दर्द है, अकेलापन है, वो सिर्फ हमारे लिए ही बड़ा है, झिंझोड देनेवाला है, दूसरों के लिए नहीं. हमें ये भी पता है के ये जो sadness है ये केवल यही moment की है, कल सुबह सब normal भी हो जाएगा, फिरभी डर लगता है, हैंना?