कुछ शब्द जिन्हें आपके मन और दिल तक पहुंचाने की कोशिश है। मेरी लिखीं कविताएं हैं जिनमें आप अपने जज़्बात खोज लें।... more
FAQs about Show Time With Rj Prasun:How many episodes does Show Time With Rj Prasun have?The podcast currently has 22 episodes available.
September 08, 2021कबीर दास जी के दोहे 18कबीर कहा गरबियो, काल गहे कर केस. ना जाने कहाँ मारिसी, कै घर कै परदेस. अर्थ : कबीर कहते हैं कि हे मानव ! तू क्या गर्व करता है? काल अपने हाथों में तेरे केश पकड़े हुए है. मालूम नहीं, वह घर या परदेश में, कहाँ पर तुझे मार डाले....more2minPlay
September 06, 2021कबीर दास जी के दोहे 17जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई. जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई.अर्थ : कबीर कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला गाहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है. पर जब ऐसा गाहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है....more2minPlay
September 05, 2021कबीर दास जी के दोहे 16कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई. बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई. अर्थ :कबीर कहते हैं कि समुद्र की लहर में मोती आकर बिखर गए. बगुला उनका भेद नहीं जानता, परन्तु हंस उन्हें चुन-चुन कर खा रहा है. इसका अर्थ यह है कि किसी भी वस्तु का महत्व जानकार ही जानता है।...more2minPlay
September 03, 2021कबीर दास जी के दोहे 15कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन. कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन.अर्थ : कहते सुनते सब दिन निकल गए, पर यह मन उलझ कर न सुलझ पाया. कबीर कहते हैं कि अब भी यह मन होश में नहीं आता. आज भी इसकी अवस्था पहले दिन के समान ही है....more1minPlay
September 02, 2021कबीर दास जी के दोहे 14कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर। अर्थ : इस संसार में आकर कबीर अपने जीवन में बस यही चाहते हैं कि सबका भला हो और संसार में यदि किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न हो !...more1minPlay
September 01, 2021कबीर दास जी के दोहे 13दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार, तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार। अर्थ : इस संसार में मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है. यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता....more2minPlay
August 31, 2021कबीर दास जी के दोहे 12निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। अर्थ : जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है....more2minPlay
August 26, 2021कबीर दास जी के दोहे 11अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।अर्थ: न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।...more1minPlay
August 25, 2021कबीर दास जी के दोहे 10बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि भावार्थ: जो व्यक्ति अच्छी वाणी बोलता है वही जानता है कि वाणी अनमोल रत्न है। इसके लिए हृदय रूपी तराजू में शब्दों को तोलकर ही मुख से बाहर आने दें। boli ek anamol hai, jo koi bolai jaani,hiye taraajoo tauli ke, tab mukh baahar aanibhaavaarth: jo vyakti achchhi vaani bolata hai vahi jaanata hai ki vaani anamol ratn hai. isake lie hri day roopi taraajoo mein shabdom ko tolakar hi mukh se baahar aane dem....more2minPlay
August 24, 2021कबीर दास जी के दोहे 09जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। अर्थ : जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है. लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते....more2minPlay
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